kuchh dil ki baaten..
गुरुवार, 22 अक्टूबर 2009
दिल की लगी
मेरे दामन को छू गई तेरी यादों की लहर
ज़हन में इक हूक सी उठाती हुई
तेरे वादों के साए अब भी
दरवाज़े पर दस्तक देते है
हर जगह तुम्हें ढूँढती हूँ
तेरी परछाई भी नज़र नही आती
तेरी राहगुज़र बन संग चलना था
तुमने तो अपनी राहें ही बदल ली
दिल की लगी लगा कर
न जाने कहाँ निकल गए…..
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